सर जी, ओ सर जी , सर जी

सर जी , ओ सर जी , सर जी ( अफसाना ) लेखक ( कलीम पाशा शादरान ) मैं हमेशा अकेला रहने का आदी हूं , लेकिन कुछ दिन पहले मैंने सोचा , आज उन लोगों के पास थोड़ा वक़्त बिताया जाए जिन्हें फ़ालतू लोगों में गिना जाता हैं क्योंकि वो लोग हमेशा चौराहे पर बैठे रहते हैं और वहाँ से गुज़रने वालों पर तनक़ीद करते रहते हैं। मैंने सोचा आज उन्हीं के पास बैठा जाए और कुछ नया तजुर्बा हासिल किया जाए । इसी इरादे से मैं अपने दोस्त के साथ उनकी टोली में जाकर शामिल हो गया ...