आखिर चाहिए.......कौन ? कितने ? और कैसे??
एक लड़का था दुबला पतला छोटे बाल , काली आंखें , आम हालत में दिखने वाला नाम था सुकून ।
कहने को तो उसका नाम सुकून था मगर वह हर वक्त न जाने कहां गुम सुम सा रहता था ।
उसके दिमाग में हर वक्त कुछ ना कुछ चलता रहता , लगता था जैसे कुछ उधेड़बुन में लगा रहता है ।
मैं उस पर कई रोज़ से नज़र रख रहा था लेकिन हर बार वो उसी कैफियत में नज़र आता था । वही सुनसान मिज़ाज का मालिक ।
एक दिन मैंने उससे बात करने को सोचा, मैं जब उसके घर की तरफ आया तो वो अपने घर से निकल ही रहा था , मैंने उसे रोका और सलाम किया उसने भी बहुत अदब के साथ सलाम का जवाब दिया और खैरियत पूछी ।
उसका अखलाक अच्छा था ।
उसके अखलाक ने मेरे ऊपर असर किया और इसलिए मजीद उसके बारे में जानने के लिए मेरे अन्दर दिलचस्पी हुई , मैंने उससे कहा -"
क्या हम थोड़ी देर बात कर सकते हैं ? तो जवाब में कहा-" जी जरूर " और हम दोनों एक बगीचे की तरफ चले गए जो कि हमारे कस्बे से सटा हुआ था ।
रास्ते में चलते चलते मैंने बातचीत शुरू की तो उसने भी मेरी बातों का माकूल जवाब दिया ।
आहिस्ता आहिस्ता मैं अपने मौजू पर आया जो मुझे उससे जानना था ।
मैंने उससे कहा क्यों भाई तुम आखिर इतना चुपचाप और सबसे अलग थलग क्यों रहते हो ?
सुकून मेरे सवाल से ही समझ चुका था , कि मैं उस पर नज़र रख रहा हूँ ।
उसने बात को टालना चाहा और कहा -" कुछ नहीं ऐसी तो कोई बात नही है बस आदत नहीं है तबीयत ही कुछ ऐसी है हमारी,"।
मैंने कहा " सुकून भाई तबीयत की बात अलग है लेकिन कुछ तो है जिससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि आपके दिमाग में बहुत उथल- पुथल सी है ।""
सुकून ने नज़र को बचाते हए बड़ी नरमी से जवाब दिया " कुछ नहीं बस दुनिया समझ नहीं आती ।"
उसने जब यह बात कही तो मैं और भी ज्यादा ख्वाहिशमन्द हुआ कि आखिर कुछ तो है।
मैंने उससे कहा- " भाई अगर आपको कोई हर्ज ना हो तो आप अपने ख्यालात मुझसे जाहिर कर सकते हैं "।
वो थोड़ा सहमा ,
मगर मुझे अहसास हो गया था कि उसको शायद मुझ पर थोड़ा यकीन हो चुका है । उसने अपनी बात बतानी शुरू की और कहा " कि मैं थोड़ा सा इस सोच में रहता हूं कि आखिर आजकल के लोग क्या चाहते हैं "?
मैंने कहा " मतलब"।
सुकून ने मुझे समझाते हए कहा - " मतलब यह कि लोग किस तरह के इंसान को चाहते हैं "?
मैंने कहा- भाई बात खुलकर बताइए मैं थोड़ा समझ नहीं पा रहा ।
वो थोड़ा हंसा और मुझसे कहने लगा - "अरे छोड़िए फिर" ।
मैंने कहा - बताइए मैं समझ जाऊंगा।
फिर से उसने बात को थोड़ा सा खुलासा करके बताना शुरू किया ।
सुकून ने कहा - कि जनाब यह मॉडर्न जमाना है यहां लोग अपने शौक पूरे करने के लिए कुछ भी कर देते हैं, मुझे उनके शौक से कोई शिकवा नहीं है , मुझे तो बस यह समझ नहीं आता " कि उनको जिंदगी बिताने के लिए अगर कोई हमसफर चाहिए यानि अगर वो शादी या इश्क़ करे तो किस तरह करे और ऐसा क्या हो जिससे हमारा साथी हमारे साथ धोखा ना करें ।
मैं उसकी बात को अभी भी नहीं समझ पाया था कि वह कहना क्या चाहता है , लेकिन मैं ध्यान से सुनता रहा ।
उसने सबसे पहले बात शुरू की एक शौहर से ।
जो अपनी बीवी को लेकर बहुत परेशान था। उसने बताया - वो आदमी बता रहा था कि उसकी बीवी जो कि इतनी हसीन भी नहीं है वो जो भी उस से ख्वाहिश करती है वो उसको पूरा करता है चाहे वह जिस्मानी हो या बाहरी ताल्लुक से मगर फिर भी उसकी बीवी उसके साथ धोखा कर रही है,सारी ज़रुरियात पूरी होने बाद भी वो एक रिक्शा चलाने वाले से बात करती है ।
मैं उसकी हर बात को बहुत ध्यान से सुन रहा था और मुझे लगने लगा था कि सुकून कोई मामूली लड़का नहीं है ।
सुकून ने मज़ीद बात आगे बढ़ाते हुए कहता है कि बताओ यार वो अपनी बीवी से कितना प्यार करता है उसका पूरा ख्याल भी रखता है मगर उसकी बीवी है कि वो एक मामूली रिक्शा वाले को भी चाहती है ।
और वो चाहती अपने शौहर को भी थी मगर पता नहीं क्या बात थी ।
सुकून अब अपने जज़वाती रवैये में बात कर रहा था ।
उसने कहा- कि हमारे पड़ोस में एक लड़का है उसकी कोई महबूबा है, जिससे वो हद से ज्यादा प्यार करता है और कहता है कि मैं तुम्हारे बिना मर जाऊंगा और शादी भी तुम्ही से करूंगा ।
वो लड़की भी उससे इतना ही प्यार करती है । लेकिन मैंने कल देखा कि वही लड़का कल किसी अलग से फ़ोन पर बात कर रहा है और उससे भी यही कह रहा था कि मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगा और तुम्हीं से शादी करूँगा ।
बताइए वो आखिर किसके बिना नहीं जी पाएगा इतना कहकर सुकून हँसने लगा और मैं भी उसके साथ हँसता रहा ।
सुकून हँसते हँसते अचानक रुक गया और उदास हो गया , साँस को ढीला छोड़ते हुए बोला- आखिर उनको कौन चाहिए ? शौहर / वीवी चाहिए? आशिक/महबूब चाहिए ? और कितने चाहिए ? और एक ही चाहिये तो कैसे चाहिए?
वो बहुत ही गुस्सेल आवाज में बोला- "आखिर चाहिए कौन .......कितने ?......और कैसे ?
मैं यह वाजे तौर पर जान चुका था कि उसको इस माहौल से शिक़वा है ।
मैने कहा- " क्या सुकून भाई छोड़ो इतना क्यूँ सोचते हो "? और बताएँ कुछ ।
बहुत देर वो कुछ सोचता रहा और फ़िर उसने कहा कि अब मेरे दोस्त के बारे में सुनो ।
मेरा एक दोस्त था जिसकी एक महबूबा थी उनकी मोहब्बत भी मामूली नही थी लगभग 10 साल से वो एक दूसरे के लिए जी रहे थे ।
सुकून ने मेरे घुटने पर हाथ रखते हुए कहा - सोचिए जनाब इतना लम्बा अर्सा जिसके साथ कोई गुजार दें तो क्या उनकी आदत या लत एक दूसरे को न पड़ जाएगी ?
उसने बताया कि उसका दोस्त उसके साथ उस वक्त से है जब वो दोनों बहुत छोटे थे और उसकी महबूबा तो और भी छोटी थी ।
और इतनी छोटी थी कि मेरे दोस्त ने ही उसको सिखाया कि मोहब्बत होती क्या है , उसको इतनी भी समझ नहीं थी । वो सिर्फ एक दूसरे को पाकर खुश थे ।
वो कभी किसी से बात नहीं करती थी कभी किसी को देखना पसंद नहीं करती थी,
लेकिन अचानक उसमे बदलाव आने लगा था, हुआ क्या उसके घर वालों ने उसका स्कूल चेंज करा दिया।
वो जब नए स्कूल पहुंची तो उसे नया माहौल मिला और जो उसके साथ हमजमात लड़कियां थी उन्होंने भी उसको कुछ नए जमाने की चीज़ों से उसका तार्रुफ़ कराया होगा, बताया होगा कि यह व्हाट्सएप होता है, यह फेसबुक होता है, यह टि्वटर और इंस्टाग्राम होता है।
चलो अच्छा है नई चीजों को जानना चाहिए ।
लेकिन अब वो परेशान सा रहता था क्यूंकि उसकी महबूबा में अब कुछ बदलाव शुरु हो गया था, उसने अब झूठ बोलना शुरु कर दिया ।
बस यही चीज़ ने मेरे दोस्त को कमज़ोर कर दिया , उसे यही डर रहता था कि यह माहौल उसे कहीं अपने अंदर ना फसा ले । वही हुआ जिसका उसको डर था।
नए स्कूल में उसे मुख्तलिफ़ खयालात के साथी मिले और चूँकी वो खूबसूरत होने के साथ- साथ पढ़ने लिखने में भी होशियार थी इसलिए वहाँ सब उसे पसंद करने लगे ।
और इसलिए उसके ज़हन से मेरे दोस्त की बेइंतिहा मोहब्बत भी निकलने लगी । उसको किसी रिश्तेदार ने किसी अंजान शख़्स से बात करा दी ।
और तभी से वह अनजान शख्स से बात करने लगी जिसके बारे में उसको पता भी नहीं कि वो क्या होगा ? कैसा होगा ? चोर है ? लुटेरा है ? उस को बदनाम करेगा ? और जो वाकई कुछ भी कर सकता है क्यूंकि उसका ताल्लुक एक बड़े शहर से है ।
और इधर मेरा दोस्त जो हर वक़्त उसकी फ़िक्र में रहता था, उसकी हिफाजत कर रहा था, पिछले 10 साल से उसको संभाले हुए था उसने उसको भुला दिया ।
और उस चंद लम्हों की बातचीत करने वाले से छुप कर बात करने लगी ।
अब बताइए क्या समझे इसे ? सुकून ने थोड़े गर्म लहजे में कहा ।
उसकी बात सो फीसदी सही थी ।
सुकून की बातें सुनकर मेरे दिमाग में भी अब कुछ चलने लगा था,
मैंने उससे कहा - भाई बात तो ठीक है आपकी क्योंकि मैंने भी कई मामले इस तरह के देख रखे थे ।
मैंने उसे बताया - कि एक औरत है जिसको मैं जानता हूं उसकी उम्र लगभग 30-35 साल होगी उसके चार बच्चे हैं सोहर भी अमीर है खुश भी रहती हैं , ज़रुरती सामान हर वक़्त मुह्य्या रहता है और हर ख्वाहिश भी पूरी होती है, क्यूंकि उनकी शादी उनकी मर्ज़ी से हुई थी यानि लव मेरिज ।
लव मेरिज होने के बाद भी उसने एक दुकान पर काम करने वाले मामूली मज़दूर से ताल्लुकात बना लिए और उसके साथ खुद को साझा भी करती है ।
उधर उस लड़के को ले लो जिसके साथ उसके ताल्लुकात हैं वो उसके साथ-साथ उसी की एक रिश्तेदार के साथ भी तालुकात बनाए हुए है।
अभी पिछले दिनों क्या हुआ उस औरत की भांजी उसके पास आई जो कि ज्यादा बड़ी नहीं है लेकिन समझदार है उसने उसको उस लड़के से बात करते देख लिया, औरत ने इस डर से कि कहीं यह बात आम ना कर दे इसलिये उसे बातों में फसाकर भांजी की उस लड़के बात करवा दी ।
बात इतनी आगे बढ़ गई कि अब भांजी से भी उसके ताल्लुकात हैं
ताज्जुब तो यह है कि सब को एक दूसरे के बारे में पता है लेकिन फिर भी उन सबके ताल्लुकात उस लड़के से हैं ।
वो सिर्फ चंद दिन के लिए अपनी खाला या मौसी के पास आई है और जहां से वो आई है वहां पर उससे हक़ीकत में इश्क़ करने वाला उसके इंतजार में पागल है वो भी सिर्फ़ उसी से मोहब्बत करती थी, लेकिन मौसी या खाला ने उसे अपने माहौल में ढाल लिया था और वो लड़का जिससे वह प्यार करती है वो उसके लिए वहाँ तड़प रहा है ।
सुकून अब परेशान था । उसकी आँखो में आँसू से थे । और उसे एहसास हो चुका है कि जैसा वो सोच रहा है वैसा ही मैं भी सोच रहा था ।
मसला बहुत संगीन हो चुका था ।
अब उसके आँसू बहने लगे थे, और गुस्सा भी था उसी गुस्से में उसने तकरीर नुमा लहजे में मुझसे कहा -भाई लड़का एक लड़की से प्यार करता है फ़िर उसे कोई दुसरी लड़की भी मिल जाती है तो वो उससे भी वैसे ही पमोहब्बत करता है,
लड़की भी किसी दूसरे लड़के से ताल्लुकात बनाने में गुरेज़ नहीं करती ।
ऐसा ही शादी शुदा मर्द औरते कर रही हैं वो नाजायज़ ताल्लुकात भी कई कई लोगों के साथ बनाए हुए हैं ,
जिनकी शादियाँ मर्ज़ी से हुई हैं उनके भी मज़ीद ताल्लुकात बने हुए हैं ।
सुकून बहुत खिसियाकर फिर से बोला-
आखिर चाहिए .........कौन? कितने ? और कैसे?
सुकून अब बेबाक हो गया था ।
उसने गुस्से और आँसू आस्तीन से पोंछते हुए कहा -" चल क्या रहा है आखिर " ?
किस पर भरोसा किया जा सकता है और अगर यह यूहीं चलता रहा तो क्या होगा ?
उसकी सोच इस ज़माने से बिल्कुल अलग थी लोग उसमें खामिया निकालते थे लेकिन आज मैने जब उसे जाना तो समझ आया कि यह अलग है इस माहौल से बिल्कुल अलग ।
उसके आँसू उसकी परसाई और ज़हानत दोनों को बयान कर रहे थे ।
मैने उसे समझाया और चुप कराया मुझे लगा कि मैने उससे यह सब पूछ कर गलत किया उसको ठेस पहुँचाई है ।
मैं भी दिल ही दिल अश्कवार था उसको देखकर ।
हम दोनों बहुत देर तक ऐसे ही बातें करते रहे और शाम होने को थी हम वहां से वापस घर की तरफ चलने लगे तभी रास्ते में देखा कि एक नया जोड़ा जिसकी शादी अभी फिलहाल ही हुई होगी वो दरवाजे के बाहर झगड़ा कर रहे थे हमने सोचा देख ले क्या बात है ?
सुकून ने आगे जाकर उनसे पूछा तो लोगों ने बताया कि इन दोनों ने भाग कर शादी की थी और अब यह लड़की कह रही है मुझे तलाक चाहिए , उसका कहना है कि उसका मर्द पहले से ही शादीशुदा है और उसने उससे झूठ बोला है ।
लड़की चीख चीख कर कह रही थी आखिर इसको कौन सी लड़कियाँ चाहिए? कितनी चाहिए ? और कैसी चाहिएं ?
सुकून और हम एक दूसरे को देखने लगे ।और मैने उससे कहा-"चलो छोड़ो यार घर चलते हैं , और शाम होने तक वापस अपने अपने घर चले गए ।
घर पहुँचकर मैंने खाना खाया कुछ देर लैपटॉप पर काम किया और सो गया सुबह उठा नमाज पढ़ी और उसके बाद मोर्निग वॉक के लिए निकला कस्बे से थोड़ी दूरी पर चलकर रेल की पटरियां हैं वहाँ देखा तो लोगों की भीड़ जमा है मैंने सोचा देखें क्या बात है ?
तेज कदमों से भीड़ की तरफ आगे बढ़ा और भीड़ को चीरते हुए जब अंदर घुसा तो देखा कि कोई ट्रेन के हादसे में कट गया है जिससे उसकी मौत हो गई है । उसका कटा हुआ बदन उल्टा था यानि मुहँ नीचे की तरफ़ था आधा ऊपरी हिस्सा पटरी के बीचो बीच था और आधा धड़ पटरी के एक तरफ़ था, लोग पुलिस केस होने की वजह से उसे छू भी नहीं रहे थे ।
उसका चहरा पत्थरों में था । लोग पुलिस को बुला रहे थे ।
इतने में मेरी नज़र उसके हाथ पर गई जिसकी मुट्ठी बनी हुई थी उसमे कोई कागज़ का टुकड़ा नज़र आ रहा था ।
मैने हिम्मत करके उसकी मुट्ठी खोली उस पर्चे को निकाला, और जैसे ही उसको पढ़ा मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल पड़ी ।
उस पर लिखा था
आखिर चाहिए........कौन ? कितने ? और कैसे ?
मैने जल्दी से उसका चेहरा सीधा किया और तो होश उड़ गए, मैं वहीं गिर गया ।
जो मरा पड़ा था पता है कौन था
वो
वो
सुकून था ।
कलीम पाशा शादरान ✍
Date 15th September 2020
Monday
Time-: 04:42 am night
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