Posts

आखिर चाहिए.......कौन ? कितने ? और कैसे??

Image
    आखिर चाहिए ..........कौन  ?  कितने  ?  और कैसे  ??  (अफसाना ) एक लड़का था दुबला पतला छोटे बाल , काली आंखें , आम हालत में दिखने वाला नाम था सुकून । कहने को तो उसका नाम सुकून था मगर वह हर वक्त न जाने कहां गुम सुम सा रहता था । उसके दिमाग में हर वक्त कुछ ना कुछ चलता रहता , लगता था जैसे कुछ उधेड़बुन में लगा रहता है । मैं उस पर कई रोज़ से नज़र रख रहा था लेकिन हर बार वो उसी कैफियत में नज़र आता था । वही सुनसान मिज़ाज का मालिक । एक दिन मैंने उससे बात करने को सोचा, मैं जब उसके घर की तरफ आया तो वो अपने घर से निकल ही रहा था , मैंने उसे रोका और सलाम किया उसने भी बहुत अदब के साथ सलाम का जवाब दिया और खैरियत पूछी । उसका अखलाक अच्छा था । उसके अखलाक ने मेरे ऊपर असर किया और इसलिए मजीद उसके बारे में जानने के लिए मेरे अन्दर दिलचस्पी हुई , मैंने उससे कहा -" क्या हम थोड़ी देर बात कर सकते हैं ? तो जवाब में कहा-" जी जरूर " और हम दोनों एक बगीचे की तरफ चले गए जो कि हमारे कस्बे से सटा हुआ था । रास्ते में चलते चलते मैंने बातचीत शुरू की तो उसने भ...

मौत का जिम्मेदार कौन?

Image
                                                     खराब  वेंटिलेटर एक तरफ कोरोना अपना कहर सारी दुनिया पर बरपा रहा है और हमारे देश में भी यह  अपने पैर पसार रहा है तो वही दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में हमपान साइक्लोन ने भारी तबाही मचा दी है। यह वक्त इंसानियत के लिए बहुत मुश्किल साबित हो रहा है, मगर ऐसे मुश्किल दौर में भी कुछ लोग अभी भी लोगों की जानो के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उनको यह समझ नहीं है कि इस वक्त किसी भी तरह का कोई गलत काम कितने लोगों की जान ले सकता है।  डॉक्टर्स के मुताबिक  हमारे सामने कोरोना से बचने के लिए एक तरीका था जो कि टेस्ट था। ज्यादा से ज्यादा टेस्ट कराना ही सबसे ज्यादा जरूरी  है उसके लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किट का होना भी आवश्यक है ।  टेस्ट किट मंगाई गई लेकिन बाद में कई सारे अखबार और कुछ चैनल ने भी रिपोर्ट दी की टेस्ट किट नकली हैं यह बात उस वक़्त की थ...

मैं मजदूर हूं

Image
मैं मज़बूर हूँ    मैं रात दिन मेहनत करता हूं उसी से कुछ कमा कर बच्चों का पेट भरता हूं मैं हर बीमारी और अनहोनी से डरता हूं चंद रुपए ही तो पूरे दिन में जमा करता हूं घर ले जाऊंगा बहुत सा राशन एक ही बार में ज्यादा एनिमेशन कमा कर यही सोचकर मैं अपने घर से दूर हूं मैं मजदूर हूं ........... मैं ........... मजदूर हूं मेरा एक घर है, सिर्फ एक ही दीवार है जिसमें उसी के सहारे घास की छत को मैंने किया तैयार है उसके नीचे एक तरफ को मिट्टी से बना चूल्हा है चूल्हे के बराबर से ही मेरी बेटी की गुड़िया का झूला है झूला तो बना लिया है उसने कहा है, लेकिन गुड़िया का इंतजार है कि वह कहती है कि सबसे बाबा लाएंगे गुड़िया क्योंकि वे मुझसे प्यार करते हैं मुझे उससे बात नहीं करनी चाहिए करने को तरसती रहती है जब भी बात करता हूं मुझे यही कहती है बाबा ....... कब आएगी मेरी गुड़िया ?? मैं तड़प जाता हूं, उसकी मासूमियत से और बहाने से बहला देता हूं गोद में उसको बिठाकर सिर को सहला देता हूं वो भी बहुत जहीन है मेरे आंसुओं को भांप लेती है मेरे दर्द को अंदर तक जांच पड़ती है ...

भूख और हम

Image
 दुनिया की रफ्तार थम सी गई है,  ऐसे में बहुत सारी  दिक्कतें हैं, जैसे- कारोबार की ,खानपान की, शिक्षा की  और दवाइयां आदि  । हम अपने मुल्क में बहुत कड़वी सच्चाई के साथ जी रहे हैं चाहे जितना भी इसको नजरअंदाज किया जाए लेकिन रिसर्च और रिसर्च  करने वाले इसको नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं। और वह कड़वी सच्चाई भूख है।  भुखमरी का स्तर लॉक डाउन या कोरोना से पहले  अगर देखा जाए तो उसके हालात काफी खराब पहले से ही है और और अब इस मंदी के बाद हमारे देश पर भुखमरी किस कदर अपना असर डालेगी यह हम अपने घरों मैं सुकून से बैठकर नहीं समझ पाएंगे क्योंकि हमें लगता है हमारे पास सब है तो सब ठीक है  । हमें रोटी कमाने वाले मजदूर ,  मुश्किलों में वक्त गुजार रहे मजदूर , अपने घर को जाने  के लिए जद्दोजहद करने वाले  मजदूर सब बेवकूफ और पागल नज़र आते हैं ।  मैंने बहुत से लोगों के नजरिए पर लघु शोध किया और उसमें पाया कि 40% लोग  रेल हादसे में हुई  मजदूरों की मौत, पैदल यात्रा करने वालों में होने वाली मौतें ट्रक में हुई मौतें और  भूख से हुई मौतें उ...

घाटी

Image
              एक नन्हा अन्धा  सदस्य बता रहा एक कहानी      किसी ज़माने में एक घाटी  थी जिसमें अलग-अलग तरह के निवासी रहते थे जैसे- अंधे, काने,  लंगड़े और आंखों वाले आदि। घाटी के सभी सदस्य एक साथ मिलजुल कर रहते थे सारे काम एक साथ करते और प्यार से एक दूसरे का साथ देते थे चूंकि घाटी ने बहुत से जुल्म सहे थे इसलिए घाटी गरीब थी, मगर इतने कष्ट सहने के बाद भी घाटी तरक्की की ओर बढ़ रही थी सब अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करते थे इस तरह घाटी खुशहाली की तरफ अग्रसर थी। घाटी को चलाने के लिए घाटी के लोगों ने आंखों वालों को चुना था,और आंख वाले अपने काम को पूरी तरह अंजाम देते। कमियां खामियां बहुत सारी उनके कामों में भी थी लेकिन फिर भी घाटी के सदस्य उन्हें तख्त पर बैठाए हुए थे क्योंकि सदस्यों को लगता था कि यह तख्त को अच्छे से यही चला सकते हैं । घाटी में एक जाति काने सदस्यों की थी वह आँख वालों को तख्त से गिरा कर खुद राजशाही करना चाहते थे, उन्होंने बहुत सी चालों से आँख वालों को गिराना चाहा मगर हर बार असफल रहे । काने सद...

मुश्किल वक्त और मीडिया l

Image
                आज सारी दुनियाँ एक ही परेशानी में फंसी हुआ है जिसका नाम कोरोना वायरस है अलग-अलग देश अलग अलग तरीके से उससे निपटने को तैयार है और निपट भी रहे हैं,कहीं पर दवा को बनाने का काम चल रहा है, कहीं पर लोगों को घर में ठहरने को कहा जा रहा है ,कहीं पर लोगों से कहा जा रहा है कि अपने हाथ मुँह धोकर बचाव करें।  इन सबके बीच जो सबसे ज्यादा जरूरी है  कि हम लोगों में आत्मविश्वास कैसे ले कर आएं ? हम लोगों को कैसे समझाएं?  उसके लिए हमारे पास सिर्फ एक रास्ता होता है क्योंकि  हम लोगों के घर घर तो नहीं जा  सकते और समझाना भी सभी को है तो उसके लिए हमारा ध्यान  मीडिया पर जाता है ,और उसी पर हम यकीन रखते हैं कि मीडिया अवाम को एक दूसरे से बाँधकर रखेगा ।   अच्छे ख्यालात,  अच्छे बर्ताव को लोगों तक पहुंचाएं। कैसे इस  बीमारी से ,और इसके अलावा भी मुश्किलों से कैसे लड़ना है यह मीडिया के जरिए हम लोगों तक पहुंचा सकते हैं भारत एक ऐसा देश है जहां पर लोग बहुत जल्दी इमोशनल हो जाते हैं, बहुत जल्दी हर बात  पर यकीन क...