भूख और हम

दुनिया की रफ्तार थम सी गई है, ऐसे में बहुत सारी दिक्कतें हैं, जैसे- कारोबार की ,खानपान की, शिक्षा की और दवाइयां आदि । हम अपने मुल्क में बहुत कड़वी सच्चाई के साथ जी रहे हैं चाहे जितना भी इसको नजरअंदाज किया जाए लेकिन रिसर्च और रिसर्च करने वाले इसको नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं। और वह कड़वी सच्चाई भूख है। भुखमरी का स्तर लॉक डाउन या कोरोना से पहले अगर देखा जाए तो उसके हालात काफी खराब पहले से ही है और और अब इस मंदी के बाद हमारे देश पर भुखमरी किस कदर अपना असर डालेगी यह हम अपने घरों मैं सुकून से बैठकर नहीं समझ पाएंगे क्योंकि हमें लगता है हमारे पास सब है तो सब ठीक है । हमें रोटी कमाने वाले मजदूर , मुश्किलों में वक्त गुजार रहे मजदूर , अपने घर को जाने के लिए जद्दोजहद करने वाले मजदूर सब बेवकूफ और पागल नज़र आते हैं । मैंने बहुत से लोगों के नजरिए पर लघु शोध किया और उसमें पाया कि 40% लोग रेल हादसे में हुई मजदूरों की मौत, पैदल यात्रा करने वालों में होने वाली मौतें ट्रक में हुई मौतें और भूख से हुई मौतें उ...