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भूख और हम

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 दुनिया की रफ्तार थम सी गई है,  ऐसे में बहुत सारी  दिक्कतें हैं, जैसे- कारोबार की ,खानपान की, शिक्षा की  और दवाइयां आदि  । हम अपने मुल्क में बहुत कड़वी सच्चाई के साथ जी रहे हैं चाहे जितना भी इसको नजरअंदाज किया जाए लेकिन रिसर्च और रिसर्च  करने वाले इसको नजरअंदाज नहीं कर रहे हैं। और वह कड़वी सच्चाई भूख है।  भुखमरी का स्तर लॉक डाउन या कोरोना से पहले  अगर देखा जाए तो उसके हालात काफी खराब पहले से ही है और और अब इस मंदी के बाद हमारे देश पर भुखमरी किस कदर अपना असर डालेगी यह हम अपने घरों मैं सुकून से बैठकर नहीं समझ पाएंगे क्योंकि हमें लगता है हमारे पास सब है तो सब ठीक है  । हमें रोटी कमाने वाले मजदूर ,  मुश्किलों में वक्त गुजार रहे मजदूर , अपने घर को जाने  के लिए जद्दोजहद करने वाले  मजदूर सब बेवकूफ और पागल नज़र आते हैं ।  मैंने बहुत से लोगों के नजरिए पर लघु शोध किया और उसमें पाया कि 40% लोग  रेल हादसे में हुई  मजदूरों की मौत, पैदल यात्रा करने वालों में होने वाली मौतें ट्रक में हुई मौतें और  भूख से हुई मौतें उ...

घाटी

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              एक नन्हा अन्धा  सदस्य बता रहा एक कहानी      किसी ज़माने में एक घाटी  थी जिसमें अलग-अलग तरह के निवासी रहते थे जैसे- अंधे, काने,  लंगड़े और आंखों वाले आदि। घाटी के सभी सदस्य एक साथ मिलजुल कर रहते थे सारे काम एक साथ करते और प्यार से एक दूसरे का साथ देते थे चूंकि घाटी ने बहुत से जुल्म सहे थे इसलिए घाटी गरीब थी, मगर इतने कष्ट सहने के बाद भी घाटी तरक्की की ओर बढ़ रही थी सब अपना काम पूरी जिम्मेदारी से करते थे इस तरह घाटी खुशहाली की तरफ अग्रसर थी। घाटी को चलाने के लिए घाटी के लोगों ने आंखों वालों को चुना था,और आंख वाले अपने काम को पूरी तरह अंजाम देते। कमियां खामियां बहुत सारी उनके कामों में भी थी लेकिन फिर भी घाटी के सदस्य उन्हें तख्त पर बैठाए हुए थे क्योंकि सदस्यों को लगता था कि यह तख्त को अच्छे से यही चला सकते हैं । घाटी में एक जाति काने सदस्यों की थी वह आँख वालों को तख्त से गिरा कर खुद राजशाही करना चाहते थे, उन्होंने बहुत सी चालों से आँख वालों को गिराना चाहा मगर हर बार असफल रहे । काने सद...

मुश्किल वक्त और मीडिया l

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                आज सारी दुनियाँ एक ही परेशानी में फंसी हुआ है जिसका नाम कोरोना वायरस है अलग-अलग देश अलग अलग तरीके से उससे निपटने को तैयार है और निपट भी रहे हैं,कहीं पर दवा को बनाने का काम चल रहा है, कहीं पर लोगों को घर में ठहरने को कहा जा रहा है ,कहीं पर लोगों से कहा जा रहा है कि अपने हाथ मुँह धोकर बचाव करें।  इन सबके बीच जो सबसे ज्यादा जरूरी है  कि हम लोगों में आत्मविश्वास कैसे ले कर आएं ? हम लोगों को कैसे समझाएं?  उसके लिए हमारे पास सिर्फ एक रास्ता होता है क्योंकि  हम लोगों के घर घर तो नहीं जा  सकते और समझाना भी सभी को है तो उसके लिए हमारा ध्यान  मीडिया पर जाता है ,और उसी पर हम यकीन रखते हैं कि मीडिया अवाम को एक दूसरे से बाँधकर रखेगा ।   अच्छे ख्यालात,  अच्छे बर्ताव को लोगों तक पहुंचाएं। कैसे इस  बीमारी से ,और इसके अलावा भी मुश्किलों से कैसे लड़ना है यह मीडिया के जरिए हम लोगों तक पहुंचा सकते हैं भारत एक ऐसा देश है जहां पर लोग बहुत जल्दी इमोशनल हो जाते हैं, बहुत जल्दी हर बात  पर यकीन क...